हम्द पाक

हम्द पाक तेरी कुदरत से ज़ाहिर है जलवा तेरा हर तरफ़ है तेरा नूर फैला हुआ तू है दाता, सख़ी सारी मखलूक़ का सबका दामन भरे तेरा दस्ते-सखा तेरे दर के सवाली हैं शाहो-गदा बिल यक़ीं तुझसा कोई नहीं दूसरा जो भी बन्दा बना है नबी का तेरे तू ने बन्दे से आक़ा उसे कर दिया मेरे दिल में तेरी है लगन ऐ ख़ुदा जानता हूँ तेरी बंदगी का मज़ा तेरे लुल्फो-करम का हो कैसे बयाँ तेरे लुत्फ़ो-करम की नहीं इन्तिहा मेरी मुश्किल को भी दूर कर तू ख़ुदा तू है हर एक मुश्किल का मुश्किल कुशा तेरी सब नेमतें हैं मयस्सर हमें मालिके-दो-जहाँ, ख़ालिक़े-दो-सरा मैं 'शफ़ी' हूँ दिलो-जाँ से बन्दा तेरा क्यों न मक़बूल हो मेरी हर इक दुआ


नात पाक


मदीने की खुश्बू जो आंगन में छाई दिले बेकराँ में क़रार एक लाई शफ़ीउल उमम रहमते-आलमीं हैं वो रहमत ख़ुदा की नबी ही से आई मिला है हमें दर्स इन्सानियत का यहीं से ख़ुदा की खुदाई है पाई जहाँ सर झुकाया है शम्सो-क़मर ने ख़बर ये मुहम्मद के दर से है आई 'शफ़ी' गुल जो तौहीद का खिल गया है नबी आ गए तो फ़िज़ा भी है आईजिसकी मुझे तलाश थी वो सिलसिला मिला काबा मिला, मदीना मिला और क्या मिला ज़िक्रे-ख़ुदा ही होता है हर पल नफ़स-नफ़स बस पाक-साफ हमको ज़मीं-आसमाँ मिला शामो-सहर है यादे-इलाही का सिलसिला कुदरत है उसकी बादे-सबा से पता मिला जिसको भी चाहा उसको नवाज़ा खुलूस से जो तेरे दर पे तुझसे सरासर झुका मिला तेरी जो बंदगी में है, उसकी है जिंदगी अल्फ़ाज़ ये क़ुरआन में देखा लिखा मिला दुनिया में उसकी पूछ-परख ख़त्म हो गई बहका जो जिंदगी में ख़ुदा से जुदा मिला आमाल अच्छे हों तो ख़ुदा को पसंद है जिसने किया अमल तो उसे है ख़ुदा मिला हम्दो-सना जो करता है कहता है ये 'शफ़ी' जिसने ख़ुदा से माँगा है उसको सिवा मिला