हम्द पाक
हम्द पाक तेरी कुदरत से ज़ाहिर है जलवा तेरा हर तरफ़ है तेरा नूर फैला हुआ तू है दाता, सख़ी सारी मखलूक़ का सबका दामन भरे तेरा दस्ते-सखा तेरे दर के सवाली हैं शाहो-गदा बिल यक़ीं तुझसा कोई नहीं दूसरा जो भी बन्दा बना है नबी का तेरे तू ने बन्दे से आक़ा उसे कर दिया मेरे दिल में तेरी है लगन ऐ ख़ुदा जानता हूँ…